गुरुवार, 26 सितंबर 2013

..वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी

क्या आपको बचपन के वो लम्हे याद हैं जब ...............

# जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए |   

# जब हमें जब जब लगता की हम विडियोगेम में हारने वालेहैं हम गेम री-स्टार्ट कर देते थे |

# जब हमारे पास चार रंगों से लिखने वाली एक पेन हुआ करती थी और हम सभी के बटन को एक साथ दबाने की कोशिश किया करते थे |

# जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके लेकिन कभी कभी वहां से चल भी देते थे क्यूंकि सामने से आने वाला बंदा बड़ी देर कर रहा होता था |

# जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |

# सोचा करते थे की ये चाँद हमारी साइकिल के पीछे पीछे क्यों चल रहा हैं |

# On/Off वाले स्विच को बीच में अटकाने की कोशिश किया करते थे |

# पानी की 2 बूंदों को खिड़की से बहा के उनके बीच रेस लगवाया करते थे |

# सिर्फ एक ही चीज़ का दिलोजान से ख्याल रखते थे -हमारी स्कूल बैग

# फल के बीज को इस डर से नहीं खाते थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए|

# बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |

# फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने की कोशिश करते थे की इसकी लाइट कब बंद होती हैं |

# रूम में आते थे पर किसलिए आये वो भूल जाते फिर बाहर जाके याद करने की कोशिश करते |

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सच , बचपन में सोचते हम बड़े क्यों नहीं हो रहे और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?
ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो ..भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन ....वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी

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